गोंदिया का वह गांव जहां 12 कि.मी. पैदल चलकर देनी पड़ती है स्वास्थ्य सेवा

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गोंदिया: महाराष्ट्र के गोंयिा जिले की अर्जुनी मोरगांव तहसील के सघन जंगलों के बीच बसे गांव नांगलडोह में लोगों को स्वास्थ्य सेवा के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम को 12 कि.मी. पैदल चलना पड़ा. (The village of Gondia where 12 km. Health service has to be given on foot)

नांगलडोह गांव अति दुर्गम है. गांव तक पहुंचने के लिए मार्ग नहीं है. गांव में जाने के लिए दलदल मार्ग है. दोनों तरफ घने पेड़ हैं. गांव तक पहुंचने के लिए पैदल जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. भारी बारिश के कारण नदी-नाले ओवरफ्लो हो रहे हैं. बरसात के मौसम के बाद भी लगभग 3-4 महीने तक नदी-नाले बहते रहते हैं.

बरसात के मौसम में विविध बीमारियों को देखते हुए केशोरी स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारी-कर्मचारियों ने गांवों में पैदल पहुंचकर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई. स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.पिंकु मंडल, स्वास्थ्य सहायक बडोले, वागधरे, स्वास्थ्य सेवक पवार, मेश्राम, स्वास्थ्य सेविका भारती उइके, वाहन चालक टेंभुर्णेकर, परिचर नाकाडे एवं जल सुरक्षक जंजाल ने दूर-दराज के गांवों में पहुंचकर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई.

इस समय बाढ़ की स्थिति के साथ-साथ जलजनित और कीटजन्य बीमारियों का गांवों में खतरा रहता है. डॉ.पिंकु मंडल के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य कर्मियों ने सुदूर गांव में पहुंचने का साहस दिखाया. गांव का दौरा कर नागरिकों के रक्त के नमूने लिए और जरूरतमंदों का इलाज किया. नांगलडोह पैदल जाते समय 11 नालों को पार किया. 12 कि.मी. सघन जंगल से होते हुए स्वास्थ्य टीम ने गांव जाकर स्वास्थ्य जांच की.

स्वास्थ्य जांच में छोटे बच्चों को आयरन सिरप की बोटलें वितरित की गई. 36 सप्ताह की गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन फोलिक एसिड की गोलियां, किशोरियों को आयरन फोलिक एसिड की गोलियां बांटी गईं. जल सुरक्षक ने गांव में जलशुद्धिकर किया. स्वास्थ्य सेवक ने सर्दी, बुखार एवं डेंगू को लेकर जनजागृति की. लोगों के रक्त के नमूने लिए. इस गांव की जनसंख्या 44 है. 5 वर्ष तक के 5 बच्चों की जांच की गई.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.नितिन वानखेड़े ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आरोग्य वर्धिनी केंद्रों में रूपांतरित हो जाने से दर्जेदार एवं उत्तम स्वास्थ्य सेवा पर जोर दिया जा रहा है. स्वास्थ्य सेवा सभी लोगों तक पहुंचाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

एक नजर में नांगलडोह गांव
नांगलडोह गांव 1934 में बसा था. उस समय इस गांव की आबादी 18 लोगों की थी. इस समय गांव की जनसंख्या 44 है. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़कें नहीं हैं. गांव पहुंचने के लिए तिरखुरी से 12 कि.मी. सघन पहाड़ी से जाना पड़ता है. बीच में 11 नालों को पार गुजरना पड़ता है. दूसरी तरफ, उमरपायली से 15 से 20 कि.मी. पैदल चलना पड़ता है. इस गांव में गर्मी के मौसम में बांस की कटाई का काम किया जाता है. गांव में आदिवासी (गोंड) लोग रहते हैं.

ठीक से मराठी बोल नहीं पाते यहां के लोग
नांगलडोह गांव के लोग मराठी भाषा ठीक से नहीं बोल पाते. वे गोंडी भाषा समझते हैंं. उनके आहार में ज्यादातर कंद और मूल होता है. गांव में आज भी बिजली सेवा नहीं है. हैंडपंप, बल्ब, मोबाइल सौर ऊर्जा पर निर्भर रहते हैं. गांव में एक हैंडपंप उपलब्ध है. गांव में मोबाइल कवरेज ठीक नहीं है. मानसून के दौरान गांव में सांप-बिच्छु देखे जाते हैं. टीकाकरण के लिए पैदल चलना पड़ता है. यह गांव ग्राम पंचायत भरनोली के अंतर्गत आता है. गांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केशोरी और उपस्वास्थ्य केंद्र राजोली के अंतर्गत आता है. राजोली से पैदल ही जाना पड़ता है. यह गांव महाराष्ट्र में गोंदिया जिले का सीमावर्ती गांव है. बायीं ओर छत्तीसगढ़ राज्य है, वहीं दायीं ओर गढ़चिरोली जिला है. गांव में कोई आशा सेविका नहीं है. यह गांव राजोली उपकेंद्र से 16 कि.मी. और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केशोरी से 34 कि.मी. दूर है.